सहारनपुर : हमारे देश में कई गांव हैं. सभी गांव की अपनी एक अलग पहचान है. कोई गांव फसल से पहचान बनाता है, तो कई गांव ऐसे हैं, जो अपने नियम कायदों से. आज हम आपको यूपी के एक ऐसे ही गांव के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे जानने के बाद आप पूरी तरह से हैरान हो जाएंगे. दरअसल, उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में एक ऐसा गांव स्थिति है, जहां 700 साल से यहां के निवासियों ने न शराब का सेवन किया है, और ना ही मांस-मछली का. इस गांव के रहने वाले लोग प्याज और लहसून का भी सेवन नहीं करते हैं. इस गांव का नाम एशिया बुक ऑफ रिकार्डस में भी दर्ज है. आगे जानिए इस गांव से जुड़ी खास बातें…यह हांव सहारनपुर में स्थित है. इसका नाम मिरगपुर है. यहां की आबादी लगभग 10 हजार है. इतनी बड़ी जनसंख्या होने के बाद भी यहां न तो कोई शराब पीता है और न ही कोई नॉनवेज खाता है.सबसे हैरान कर देने वाली बात ये है कि यहां के लोग न तो प्याज खाते हैं और ना ही लहसून. ना यहां बीड़ी पीते हैं और ना ही सिगरेट।
मिरगपुर गांव में लहसुन-प्याज, बीड़ी-सिगरेट, तंबाकू, शराब-नॉनवेज सहित 26 चीजों के खाने-पीने पर प्रतिबंध है. अपनी इसी विशेषता के चलते इस गांव का नाम पहले इंडिया बुक ऑफ रिकार्डस में दर्ज हुआ और हाल ही एशिया बुक ऑफ रिकार्डस में भी इसका नाम दर्ज हो चुका है. जिला प्रशासन ने मिरगपुर का नाम नशामुक्त गांव के रूप में घोषित किया हुआ है.जानकारी के मुताबिक, यहां के निवासी बताते हैं कि 17वीं शताब्दी में यहां राजस्थान के पुष्कर से एक सिद्ध पुरुष बाबा फकीरदास आए थे. यहां उन्होंने तपस्या की और लोगों से ये वचन लिया कि वे कभी मांस-मदिरा का सेवन नहीं करेंगे. तभी ये परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है.गांव के बड़े बुजुर्ग बताते हैं की 700 साल पहले यहां एक संत बाबा फकीरा दास आए थे और उन्होंने यहीं गांव में अपना ठिकाना बना लिया था. तभी उन्होंने गांव वालों के पूर्वजों को नशा, मांसाहार और लहसुन प्याज के सेवन से दूर रहने की शिक्षा दी थी. तब से मिरगपुर गांव के निवासी इस परंपरा का निर्वहन निरंतर करते चले आ रहे हैं.वे बताते हैं की कुछ लोगों ने इस परंपरा को तोड़ने की कोशिश भी की लेकिन उन लोगों को काफी भारी नुकसान उठाना पड़ा था. आधुनिकता के इस दौर में जब युवा अपने जीवन को नशे की लत में डूबते चले आ रहे हैं तो ऐसे में यह गांव अपने आप में एक मिसाल बना हुआ है.